कुछ ग़म सिर्फ अपने होते हैं।
छल्ली हो जाती है आत्मा
दिखती है तोह सिर्फ एक मुसकुराहट।
कुछ आंसूं सिर्फ अपने होते हैं।
चेहरे पर शिकन की एक लकीर नहीं
पर दिल के सौ टुकड़े बिखर जाते हैं।
कुछ दर्द सिर्फ अपने होते हैं।
मरहम लगाती है दुनिया
पर घाव गहरे होते रहते।
कुछ ज़ख्म सिर्फ अपने होते हैं।
हर पल सदियों सा लगता है
पर घडी के कांटे रुक रुक कर चलते हैं।
कुछ ग़म सिर्फ अपने होते हैं।
(one of those pieces of my writing which entered my mind well-formed- miracle indeed! don't judge my hindi- i have officially learnt it only till 4th!)
3 comments:
Can anyone believe that you have studied hindi only upto 4th std? Now I am confident that u can do well in Hindi in Mains also.
rekha
wow...it's brilliant. n so apt!
कुछ नही, सारे दर्द अपने ही होते है.
हा, खुशीओ को सम्हालके रखना पडता है. पता नही कौन कैसे उडाके ले जाए.
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